Tuesday, July 10, 2007

मेरी कोई पहचान नहीं है।

लाखों लोग मुझे जानते हैं पर फिर भी मैं किसी को नहीं जानता।
अरबों रूपए इन हाथों से खर्च कर चुका हूं पर मेरे पास एक पैसा भी नहीं है।
अनगिनत लोगों का घर बसा चुका हूं मैं, पर मेरा तो अपना कोई ठिकाना ही नहीं है।
कितने हैं ऐसे जिनका कैरियर बना चुका हूं, पर मैं खुद बेरोजगार हूं।
60 साल की उम्र हो चली है और नौकरी तलाश रहा हूं।

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